।।तारा विचार।।
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जन्म नक्षत्र से क्रमशः गिनने पर
1-जन्म 2-सम्पत् 3-विपत 4-क्षेम
5-प्रत्यरि 6-साधक 7-वध 8'मित्र,
9-अतिमित्र ये 9 तारायें होती हैं।
अर्थात् ये तारा संज्ञायें हैं।इनका फल अपने नाम के अर्थ जैसे ही होता है कृष्णपक्ष में ताराबल भी देखना चाहिए।सामान्य नियम से चंद्र बल सर्वत्र देखना चाहिए।
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जन्म नक्षत्र से क्रमशः गिनने पर
1-जन्म 2-सम्पत् 3-विपत 4-क्षेम
5-प्रत्यरि 6-साधक 7-वध 8'मित्र,
9-अतिमित्र ये 9 तारायें होती हैं।
अर्थात् ये तारा संज्ञायें हैं।इनका फल अपने नाम के अर्थ जैसे ही होता है कृष्णपक्ष में ताराबल भी देखना चाहिए।सामान्य नियम से चंद्र बल सर्वत्र देखना चाहिए।
3,5,7 ताराएं अशुभ व शेष शुभ होती हैं।यात्रा, विवाह,चिकित्सा में सदा अशुभ तारा का त्याग करना चाहिए।
।।अशुभ तारा निवारण।।
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आवश्यकता हो और तारा प्रतिकूल हो तो विपत् तारा में गुड़ (खांड़ या बूरा चीनी भी)
,जन्मतारा में साग सब्जी ,प्रत्यरि तारा में नमक ,वध तारा में तिल व दक्षिणा (तिलपात्र) का दान करना चाहिए।
लेकिन तारादोष के समय चंद्रमा यदि उच्चगत , स्वक्षेत्री, शुभवर्गों में हो पूर्ण या अधिक प्रकाशित हो तो तारा दोष नष्ट हो जाता है।
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।।नक्षत्रों की तारा संख्या।।
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आवश्यकता हो और तारा प्रतिकूल हो तो विपत् तारा में गुड़ (खांड़ या बूरा चीनी भी)
,जन्मतारा में साग सब्जी ,प्रत्यरि तारा में नमक ,वध तारा में तिल व दक्षिणा (तिलपात्र) का दान करना चाहिए।
लेकिन तारादोष के समय चंद्रमा यदि उच्चगत , स्वक्षेत्री, शुभवर्गों में हो पूर्ण या अधिक प्रकाशित हो तो तारा दोष नष्ट हो जाता है।
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।।नक्षत्रों की तारा संख्या।।
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वृहत्संहिता के अनुसार।
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अश्वनी-3, भरणी -3,कृतिका-6,रोहिणी-5
मृगशिरा-3,आर्द्रा-1,पुनर्वसु-4,पुष्य-3,
आश्लेषा-5,मघा-5,पू.फा.-2,उ.फा.-2
हस्त-5,चित्रा-1,स्वाती-1।विशाखा-4, अनुराधा-4,ज्येष्ठा-3,मूल-11,पू.षा.-2
उ.षा-2,अभिजित-3,श्रवण-3,धनिष्ठा-4
शतभिषा-100,पू.भा.-2,उ.भा.-2
रेवती-32
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Astro-Ganesh Shankar pandey
What's .app-8860510916
Mob-09457158641●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
अश्वनी-3, भरणी -3,कृतिका-6,रोहिणी-5
मृगशिरा-3,आर्द्रा-1,पुनर्वसु-4,पुष्य-3,
आश्लेषा-5,मघा-5,पू.फा.-2,उ.फा.-2
हस्त-5,चित्रा-1,स्वाती-1।विशाखा-4, अनुराधा-4,ज्येष्ठा-3,मूल-11,पू.षा.-2
उ.षा-2,अभिजित-3,श्रवण-3,धनिष्ठा-4
शतभिषा-100,पू.भा.-2,उ.भा.-2
रेवती-32
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